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नज़्म
क्या ये सच है याँ का हाकिम नेक बहुत और आदिल है
सर को झुका कर धुँदली आँखों वाला धीमे से बोला
अली अकबर नातिक़
नज़्म
हर क़दम पर इक नया जादा बना मंज़िल बनी
फूल अब भी खिलते हैं लेकिन कहाँ अगली सी बात