aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "وبال_دوش"
वबाल-ए-दोश है सरऔर झुलसती चिलचिलाती धूप के नर्ग़े में
ईद हो तुम को मुबारक हाँ मगर मेरे लिएज़िंदगी क्या है वबाल-ए-दोश है तेरे बग़ैर
गिरते बाम-ओ-दर के लिए गलियों का आग़ोशजैसे ये दीवारों को थे कब से वबाल-ए-दोश
मिरे विशाल देश के भविष्य का निशान हैंहर एक फ़र्द इस चमन का आज पासबान है
बहार-दर-बहार हैचमन में ये पुकार है
ये नज़ाकत की नुमाइश ये फ़रेब-आमेज़ चालदोश-ए-हस्ती पर तेरा नापाक हस्ती है वबाल
آئے جو قراں ميں دو ستارے کہنے لگا ايک ، دوسرے سے
ख़ुशबू को भी ख़याल दूँतितली के रंग उजाल दूँ
माह-ओ-साल से थोड़ा हट केदश्त और दर से दूर
दो तरह के हैं बदनदो तरह के पैरहन
विसाल-ए-मौसमतुम्हारे अबरू के इक इशारे का मुंतज़िर है
ख़ामुशी रेंगती है राहों परएक अफ़्सूँ-ब-दोश ख़्वाब लिए
बारिशों के मौसम मेंअजनबी सी राहों में
रात इक नीले ख़्वाब में मैं नेपानी की आमेज़िश से
ये किस ने मिरी नज़र को लूटाहर चीज़ का हुस्न छिन गया है
फ़र्द फ़र्द मस्त हैपंद्रह अगस्त है
लुटा दो लुटा दोये अफ़्कार-ओ-अनवार का
ऐ मेरे सिफ़्र सिफ़्र सिफ़्र.....!दाएँ नहीं बाएँ लेटो
हमारी दास्तानों मेंतुम्हारी दास्तानें
मैं ने कल शबआसमाँ को गिरते देखा
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