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नज़्म
चाहते सब हैं कि हों औज-ए-सुरय्या पे मुक़ीम
पहले वैसा कोई पैदा तो करे क़ल्ब-ए-सलीम
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
किसी को मौत से पहले किसी ग़म से बचाना हो
हक़ीक़त और थी कुछ उस को जा के ये बताना हो
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
अज़मतुल्लाह ख़ाँ
नज़्म
अतीक़ुल्लाह
नज़्म
शाख़-ए-गुल पर अब न पाओगे मुझे तुम नग़्मा-ख़्वाँ
आँधियों के पालने में गा रहा हूँ आज-कल
मासूम शर्क़ी
नज़्म
मुझ से पहले कितने शा'इर आए और आ कर चले गए
कुछ आहें भर कर लौट गए कुछ नग़्मे गा कर चले गए
साहिर लुधियानवी
नज़्म
ऐ इश्क़ न छेड़ आ आ के हमें हम भूले हुओं को याद न कर
पहले ही बहुत नाशाद हैं हम तू और हमें नाशाद न कर
अख़्तर शीरानी
नज़्म
मनहूस समाजी ढाँचों में जब ज़ुल्म न पाले जाएँगे
जब हाथ न काटे जाएँगे जब सर न उछाले जाएँगे
साहिर लुधियानवी
नज़्म
ग़ुबार-आलूदा-ए-रंग-ओ-नसब हैं बाल-ओ-पर तेरे
तू ऐ मुर्ग़-ए-हरम उड़ने से पहले पर-फ़िशाँ हो जा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
इन को अपनाने की ख़्वाहिश उन्हें पाने की तलब
शौक़-ए-बेकार सही सई-ए-ग़म-ए-अंजाम नहीं