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नज़्म
वो दिल हूँ इबारत जो है नज़्म-ए-अबदी से
इक ख़ून का नुक़्ता हूँ मैं पुर-मअ'नी-ओ-पुर-जोश
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
नज़्म
नैना आदिल
नज़्म
जहाँ भी उस का जो पुर्ज़ा है वो पुर-जोश रहता है
मगर इक हॉर्न है कम-बख़्त जो ख़ामोश रहता है
असद जाफ़री
नज़्म
यहाँ गुल-ख़ान जितने हैं वो सब पुर-जोश बैठे हैं
मगर पंजाब के जो लोग हैं ख़ामोश बैठे हैं