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नज़्म
फ़हमीदा रियाज़
नज़्म
क़ुरआँ से धुआँ सा उठता है ईमान का सर झुक जाता है
तस्बीह से उठते हैं शो'ले सज्दों को पसीना आता है
नुशूर वाहिदी
नज़्म
वो इज्ज़-ए-ग़ुरूर-ए-सुल्ताँ भी जिस के आगे झुक जाता था
वो मोम कि जिस से टकरा कर लोहे को पसीना आता था
आनंद नारायण मुल्ला
नज़्म
कुंदन-रस खेतों में तेरी गोद बसाने वाले
ख़ून पसीना हल हंसिया से दूर करेंगे काल रे साथी