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नज़्म
चौक चौक पर गली गली में सुर्ख़ फरेरे लहराते हैं
मज़लूमों के बाग़ी लश्कर सैल-सिफ़त उमडे आते हैं
साहिर लुधियानवी
नज़्म
चौक में जिस दिन फूल पड़े सड़ते थे
ख़ूनी दरवाज़े पर शहज़ादों की फाँसी का एलान हुआ था