ऐ ख़्वाब-ए-ख़ंदा
तुझे तो मैं ढूँडने चला था
मुझे ख़बर ही नहीं थी तू मेरी उँगलियों में खिला हुआ है
मिरे सदफ़ में तिरे ही मोती हैं
मेरी जेबों में तेरे सिक्के खनक रहे हैं
नवा-ए-गुमराह-ए-दश्त-ए-शब के नुजूम तेरी हथेलियों पर चहक रहे हैं
मिरे ख़ला में तमाम सम्तें तिरे ख़ला से उतर रही हैं
मुझे ख़बर ही न थी
कि मेरी नज़र की ऐनक में तेरे शीशे जुड़े हुए हैं
तुझे तो मैं ढूँडने चला था
तुझे तो मैं ढूँडने चला था
किसी सलीब-ए-कुहन पे दार-ओ-रसन के तारीक रास्तों की
थकन में फ़रहाद कोहकन की सदा-ए-सद-चाक में किसी चूक
मैं उबलते हुए लहू में खिले गुल तिफ़्ल-ए-बे-गुनह के बिखरते रंगों
की उँगली थामे तुझे तो मैं ढूँडने चला था