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नज़्म
जिस ने आज अपनाया इस को समझो उस के कार सफल
मैं तेरे शोलों से खेलूँ तू भी मेरी आग से खेल
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
तुम्हारा रूप पा कर दिल ने किस-किस को न अपनाया
तुम्हारे रोज़-ओ-शब से अब कोई निस्बत नहीं लेकिन
बशर नवाज़
नज़्म
कल कोई मुझ को याद करे क्यूँ कोई मुझ को याद करे
मसरूफ़ ज़माना मेरे लिए क्यूँ वक़्त अपना बर्बाद करे