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नज़्म
कुछ भी आँखों में नहीं अश्क-ए-नदामत के सिवा
कुछ भी दामन में नहीं दाग़-ए-मलामत के सिवा
क़ैसर-उल जाफ़री
नज़्म
अमीक़ हनफ़ी
नज़्म
मगर क्या कीजिए जब फ़ैसला ये है मशिय्यत का
कि मैं फ़ितरत की आँखों से गिरूँ अश्क-ए-रवाँ हो कर
अहसन अहमद अश्क
नज़्म
इस इश्क़ न उस इश्क़ पे नादिम है मगर दिल
हर दाग़ है इस दिल में ब-जुज़-दाग़-ए-नदामत
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
दास्तानें कि जिन्हें होंट न उन्वान मिले
गूँध कर अरक़-ए-नदामत में ब-सद-फ़न-कारी
मोहम्मद ज़ुबैर ख़ालिद
नज़्म
वक़्त के बाब-ए-नदामत में निहाँ तहरीरें
उन को पढ़ लेते तो शायद न यूँ हैराँ होते
मोहम्मद अफ़सर साजिद
नज़्म
उस प्रेम संदेसे को तेरे सीनों की अमानत बनना है
सीनों से कुदूरत धोने को इक मौज-ए-नदामत बनना है