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नज़्म
ज़मीं से नूरयान-ए-आसमाँ-परवाज़ कहते थे
ये ख़ाकी ज़िंदा-तर पाएँदा-तर ताबिंदा-तर निकले
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
पिरोना एक ही तस्बीह में इन बिखरे दानों को
जो मुश्किल है तो इस मुश्किल को आसाँ कर के छोड़ूँगा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ये सुर्ख़ सुर्ख़ फूल हैं कि ज़ख़्म हैं बहार के
ये ओस की फुवार हैं, कि रो रहा है आसमाँ
आमिर उस्मानी
नज़्म
तुम न आए थे तो हर इक चीज़ वही थी कि जो है
आसमाँ हद्द-ए-नज़र राहगुज़र राहगुज़र शीशा-ए-मय शीशा-ए-मय
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
वो मेरे आसमाँ पर अख़्तर-ए-सुब्ह-ए-क़यामत है
सुरय्या-बख़्त है ज़ोहरा-जबीं है माह-ए-तलअत है