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नज़्म
इस्याँ को गरचे रहमत-ए-यज़्दाँ पे नाज़ है
रहमत को अफ़्व-ए-कसरत-ए-इस्याँ पे नाज़ है
नारायण दास पूरी
नज़्म
मैं जिसे कहता था घर वो आज तिफ़्ल-आबाद है
मेरी तन्हा जान है और कसरत-ए-औलाद है
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
नमी-गर्दीद को तह रिश्ता-ए-मअ'नी रिहा कर्दम
हिकायत बूद बे-पायाँ ब-ख़ामोशी अदा कर्दम
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ख़ुदाया बख़्श दे इन बे-गुनाहों के गुनाहों को
ये मअनी ढूँडते हैं कश्मकश में रात और दिन की
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
तौर-ए-मअ'नी पर भी ऐ ना-फ़हम चढ़ सकता है तू
क्या मुसन्निफ़ की किताब-ए-दिल भी पढ़ सकता है तू
जोश मलीहाबादी
नज़्म
यूसुफ़-ए-मुल्क-ए-मआनी पीर-ए-कनआ'न-ए-सुख़न
है तिरी हर बैत अहल-ए-दर्द को बैत-उल-हुज़न