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नज़्म
तू है ना-महरम-ए-ताब-ओ-तप-ए-बातिन वर्ना
तेरी आहों से पिघल जाए सितारों का वुजूद
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
सर-ब-सर इक मुज़्दा-ए-तसकीन-ए-मरदान-ए-ज़ईफ़
क़ुव्वत-ए-बाज़ू-ए-यारान-ए-जवाँ पैदा हुआ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
हवा जारूब करती है तो उस का जिस्म ढलता है
सफ़र की गर्दिशें सौदा-ए-बातिन मुंतशिर सोचें
अख़्तर उस्मान
नज़्म
ऐ दिल-ए-अफ़सुर्दा वो असरार-ए-बातिन क्या हुए
सोज़ की रातें कहाँ हैं साज़ के दिन क्या हुए
जोश मलीहाबादी
नज़्म
जमाल-ए-ज़ाहिरी की मंज़िलों का ज़िक्र ही क्या है
मनाज़िल हुस्न-ए-बातिन की भी पीछे छोड़ आया हूँ