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नज़्म
काफ़िर-ए-हिन्दी हूँ मैं देख मिरा ज़ौक़ ओ शौक़
दिल में सलात ओ दुरूद लब पे सलात ओ दुरूद
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
अब हुस्न की महफ़िल में हसरत सी बरसती है
वो ग़मज़ा-ए-हिन्दी हैं नय इश्वा-ए-तुरकाना
शमीम फ़ारूक़ बांस पारी
नज़्म
सिपाही सूरमा बन कर अभी मैदाँ में जाता हूँ
कमर में तेग़-ए-हिन्दी हाथ में नेज़ा उठाता हूँ
वफ़ा बराही
नज़्म
साज़-ए-हिन्दी की नवा नग़मा-ए-उर्दू की सदा
जिस के अशआ'र से आती है उख़ुव्वत की निदा
अर्श मलसियानी
नज़्म
मय-कदा था तेरा यकसर सोज़ मुतलक़ साज़ भी
थी मय-ए-हिन्दी भी साग़र में मय-ए-शीराज़ भी
मोहम्मद सादिक़ ज़िया
नज़्म
मिस्ल-ए-अंजुम उफ़ुक़-ए-क़ौम पे रौशन भी हुए
बुत-ए-हिन्दी की मोहब्बत में बिरहमन भी हुए
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ये हिन्दी वो ख़ुरासानी ये अफ़्ग़ानी वो तूरानी
तू ऐ शर्मिंदा-ए-साहिल उछल कर बे-कराँ हो जा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
क़हर तो ये है कि काफ़िर को मिलें हूर ओ क़ुसूर
और बेचारे मुसलमाँ को फ़क़त वादा-ए-हूर
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
उस की तरफ़ से तो न थी कोताही-ए-करम
'हिन्दी' मैं ख़ुद ही अपने मुक़द्दर को क्या करूँ
राम लाल वर्मा हिंदी
नज़्म
कोई इस दौर में बेगाना हो कर रह नहीं सकता
कि हर अहल-ए-चमन 'हिन्दी' है ख़ुद ही पासबाँ अपना
राम लाल वर्मा हिंदी
नज़्म
सरज़मीन-ए-हिन्द को जन्नत बनाने के लिए
कैसे कैसे दस्त-ओ-बाज़ू के शजर जाते रहे
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
दहकती आग भी तय्यार रक्खी है... दिल-ए-काफ़िर
में उस की मेहरबानी और रहमत का तसव्वुर भी