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नज़्म
ख़िरद है लज़्ज़त-ए-ईमाँ के ज़िक्र से बेज़ार
हयात लज़्ज़त-ए-ईमाँ नहीं तो कुछ भी नहीं
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
कितने दिल-कश मिरे बुत-ख़ाना-ए-ईमां के सनम
वो कलीसाओं के आहू वो ग़ज़ालान-ए-हरम
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
इमाम और मुक़तदी सफ़ीरान-अहल-ए-ईमाँ
हुज़ूर-याबी की नुदरतों से कलाम करते सलाम करते
इलियास बाबर आवान
नज़्म
विलायत पादशाही इल्म-ए-अशिया की जहाँगीरी
ये सब क्या हैं फ़क़त इक नुक्ता-ए-ईमाँ की तफ़्सीरें
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
अहल-ए-ईमाँ जस तरह जन्नत में गिर्द-ए-सलसबील
ताज़ा वीराने की सौदा-ए-मोहब्बत को तलाश
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
अजम बे-बहरा-ए-ईमाँ अरब बे-बहरा-ए-दानिश
ब-ईं-आग़ाज़ दोनों का बुरा अंजाम है साक़ी
शमीम फ़ारूक़ बांस पारी
नज़्म
हुब्ब-ए-वतन को जुज़्व-ए-ईमाँ कहा गया है
वाइज़ समझ के कीजो तकफ़ीर गोखले की
ज़ाहिदा ख़ातून शरवानिया
नज़्म
इस गिरानी में भला क्या ग़ुंचा-ए-ईमाँ खिले
जौ के दाने सख़्त हैं ताँबे के सिक्के पिल-पिले
जोश मलीहाबादी
नज़्म
इक न इक उम्मीद की मशअ'ल जलाना है तो फिर
शम्अ-ए-ईमाँ ही का दिल-अफ़रोज़ उजाला क्यों न हो