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नज़्म
अख़्तर शीरानी
नज़्म
ज़मीं क्या आसमाँ भी तेरी कज-बीनी पे रोता है
ग़ज़ब है सत्र-ए-क़ुरआन को चलेपा कर दिया तू ने
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
नेक बच्चे दिल से करते हैं अदब उस्ताद का
बाप की उल्फ़त से बेहतर है ग़ज़ब उस्ताद का
फ़ैज़ लुधियानवी
नज़्म
मुफ़लिसी छाँटे उसे क़हर-ओ-ग़ज़ब के वास्ते
जिस का मुखड़ा हो शबिस्तान-ए-तरब के वास्ते
जोश मलीहाबादी
नज़्म
ये देखते ही हुजूम बिफरा भड़क उठे यूँ ग़ज़ब
कि शोले के जैसे नंगे बदन पे जाबिर के ताज़ियाने
नून मीम राशिद
नज़्म
ये क़यामत के हवसनाक ग़ज़ब के ख़ूँ-ख़ार
इन के इस्याँ की न हद है न जराएम का शुमार