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नज़्म
ख़ौफ़ की गाँठ से मैं ने सीने को दाग़ दिया
हामिला होने से क़ब्ल मैं ने पेट पर झुर्रियाँ खोदीं
हसन अल्वी
नज़्म
एक सुर जिस की बुन्तर में आवाज़ की गाँठ आई न हो
जिस के शफ़्फ़ाफ़ तन पर किसी लफ़्ज़ का कोई गहना न हो
सलमान हैदर
नज़्म
फिर बर्फ़ पिघलने वाली थी
इक गाँठ लगी उस धागे को जो बिल्कुल उस सा नाज़ुक है और टूट गया था
सैफ़ अली
नज़्म
मुझ से पहले कितने शा'इर आए और आ कर चले गए
कुछ आहें भर कर लौट गए कुछ नग़्मे गा कर चले गए
साहिर लुधियानवी
नज़्म
सुना है हो भी चुका है फ़िराक़-ए-ज़ुल्मत-ओ-नूर
सुना है हो भी चुका है विसाल-ए-मंज़िल-ओ-गाम