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नज़्म
ख़्वाहिश-ए-साया-ए-गेसू-ए-परेशाँ ही नहीं
जन्नत-ए-आरिज़-ओ-लब की भी तमन्ना न करूँ
इम्तियाज़ अहमद क़मर
नज़्म
गेसू-ए-शाम से लिपटी हुई ग़म की ज़ंजीर
सीना-ए-शब से निकलती हुई फ़रियाद-ओ-फ़ुग़ाँ
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
कि महव-ए-रक़्स-ओ-ग़ना हसीं लरज़िशें बदन की
उरूस-ए-फ़ितरत के रेशमीं पैरहन का ये आतिशीं तबस्सुम
कृष्ण मोहन
नज़्म
गुल-ए-सहर की न गेसू-ए-शाम की ख़ुशबू
फ़ज़ा फ़ज़ा में है तेरे कलाम की ख़ुशबू