आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "घोड़ी"
नज़्म के संबंधित परिणाम "घोड़ी"
नज़्म
फिर एक घड़ी ऐसी आई सब चीज़ें हो गई पराई
उन्हीं माँ बाप ने तो फिर कर दी मेरी पुर्वाई
अंकिता गर्ग
नज़्म
अब कोई घड़ी पल सा'अत में ये खेप बदन की है कफ़नी
क्या थाल कटोरी चाँदी की क्या पीतल की ढिबिया-ढकनी