aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "चार-सू"
चार सू इक उदास मंज़र हैज़ीस्त है जैसे एक वीराना
चार-सू शहनाइयाँ
चार-सूज़ाफ़रानी रौशनी के दाएरे
बदलियाँछाई हुई हैं चार-सू
रौशनी हो चार-सूऐसे ही
चार सू फ़ज़ाओं मेंज़िंदगी महकती है
रौशनी मोहब्बत कीचार-सू बिखरती है
चिड़ियाँ चहकती हुई चार-सूघूमती हैं
कहकशाँ की चादर से ढक दिया बदन उस काचार-सू धनक फूटी चार-सू शफ़क़ फूली
हो चार सू चमक-दमकऐ मेरे रब
चार-सू फैलती गईधुँद में
न साएबाँ मिले कहींपनाह चार-सू न हो
इजतिमाई सोच के अनमोल दीपचार-सू रौशन करो
उस सुब्ह जब कि मेहरदरख़्शाँ है चार-सू
हसीन लोग चार-सूसड़क पे हैं रवाँ-दवाँ
एक सन्नाटा है तारी चार-सूदिल हैं वीराँ
मेरे लबों पेबहार बहुत थी चार-सू बाग़ों में
संदूक़ के चार सू रेंगती हैंसमुंदर की तह में!
और फिर एक दमसिसकियाँ चार-सू थरथरा कर उठीं
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