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नज़्म
کبھي اے نوجواں مسلم! تدبر بھي کيا تو نے
وہ کيا گردوں تھا تو جس کا ہے اک ٹوٹا ہوا تارا
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
क्या ज़माना पे खुले बे-ख़बरी का मिरी राज़
ताइर-ए-फ़िक्र में पैदा तो हो इतनी पर्वाज़
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
कितने मरदान-ए-जरी कितने जवानान-ए-ए-ग़यूर
कितने साहिब-ए-अक़्ल कितने मालिक-ए-फ़हम-ओ-शऊर
अर्श मलसियानी
नज़्म
उस हसीं शाख़ से अब उड़ गईं दोनों चिड़ियाँ
अब जवानान-ए-चमन करते हैं फ़रियाद-ओ-फ़ुग़ाँ
सलाम संदेलवी
नज़्म
मैं पल दो पल का शा'इर हूँ पल दो पल मिरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है पल दो पल मिरी जवानी है
साहिर लुधियानवी
नज़्म
जैसे मुफ़्लिस की जवानी जैसे बेवा का शबाब
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ