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नज़्म
तेरे क़ब्ज़े में है गर्दूं तिरी ठोकर में ज़मीं
हाँ उठा जल्द उठा पा-ए-मुक़द्दर से जबीं
कैफ़ी आज़मी
नज़्म
ज़मीर-ए-लाला में रौशन चराग़-ए-आरज़ू कर दे
चमन के ज़र्रे ज़र्रे को शहीद-ए-जुस्तुजू कर दे
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
फ़ज़ा में घुल से गए हैं उफ़ुक़ के नर्म ख़ुतूत
ज़मीं हसीन है ख़्वाबों की सरज़मीं की तरह
साहिर लुधियानवी
नज़्म
ये ख़ामोशी कहाँ तक लज़्ज़त-ए-फ़रियाद पैदा कर
ज़मीं पर तू हो और तेरी सदा हो आसमानों में