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नज़्म
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
असर ये भी है इक मेरे जुनून-ए-फ़ित्ना-सामाँ का
मिरा आईना-ए-दिल है क़ज़ा के राज़-दानों में
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
हाल की ख़ातिर ख़िरद-कोशी है मुस्तसन मगर
बहर-ए-मुस्तक़बिल जुनून-ए-ज़ौक़-ए-बेदारी भी हो
अर्श मलसियानी
नज़्म
जुनून-ए-इब्तिदा-ए-इश्क़ ने करवट सी ली दिल में
पस-अज़ मुद्दत ये ले के आ गई फिर अपने मुहमल में
अख़्तर शीरानी
नज़्म
अलावों के क़रीं अक्सर जुनून-ए-ख़ुद-नुमाई में
किसी इक गीत में इक दास्ताँ में ढलने लगते हैं
शफ़ीक़ फातिमा शेरा
नज़्म
अलावों के क़रीं अक्सर जुनून-ए-ख़ुद-नुमाई में
किसी इक गीत में इक दास्ताँ में ढलने लगते हैं
शफ़ीक़ फातिमा शेरा
नज़्म
बहार आई है शोरिश है जुनून-ए-फ़ित्ना-सामाँ की
इलाही ख़ैर रखना तू मिरे जैब-ओ-गरेबाँ की