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नज़्म
पा के आहट नामा-बर की कुछ सुकूँ पाती हूँ मैं
इक हयात-ए-नौ मुझे मिलती है खिल जाती हूँ मैं
अमीर औरंगाबादी
नज़्म
किताब का गर्द-पोश जैसे शिकस्ता हो कर बिखर गया हो
ये किस इबारत के दाएरे अब किसी शहादत के नामा-बर हैं
अहमद ज़फ़र
नज़्म
अहवाल-ए-बज़्म-ए-गुलशन ऐ नामा-बर सुनाना
वो दास्ताँ है दिलकश रंगीं है वो फ़साना
ख़ुशी मोहम्मद नाज़िर
नज़्म
कितना दर्द-आमेज़ था नग़्मा दिल-ए-नाशाद का
तीर तरकश में तड़प उट्ठा सितम ईजाद का
राज्य बहादुर सकसेना औज
नज़्म
मादर-ए-हिन्द को जन्नत का नमूना कर दूँ
घर करे दिल में जो 'अफ़सर' वो सदा बन जाऊँ
हामिदुल्लाह अफ़सर
नज़्म
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
अब छोड़ भी अफ़्सुर्दगी अपनी दिल-ए-नादाँ
अब फूल भी हो खिल के तू ऐ ग़ुंचा-ए-दिल-तंग