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नज़्म
तारे चुनते चुनते जिस ने फूल नज़र-अंदाज़ किए
ख़्वाब किसे मालूम नहीं हैं लम्स किसे महबूब नहीं
अली अकबर नातिक़
नज़्म
कि तू न अब अपनों का रहा न ग़ैरों का
क्यूँकि तू अपनों की ख़ूबियों को नज़र-अंदाज़ करता रहा
रियाज़ तौहीदी
नज़्म
वो आलिम हो कि जाहिल आज हर दिल पर हुकूमत है
नज़र-अंदाज़ करना उस की राहों को क़यामत है
तकमील रिज़वी लखनवी
नज़्म
तेरा ये लुत्फ़-ओ-करम तेरा ये अंदाज़-ए-नज़र
सख़्त हैराँ हूँ कि मेरे लिए अर्ज़ां क्यों है
बज़्म अंसारी
नज़्म
नाज़िश-ए-रंग-ए-बहाराँ है हर इक नज़्ज़ारा
कितना रंगीन है अंदाज़-ए-नज़र आज की शाम