आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "नाम-ओ-निशाँ"
नज़्म के संबंधित परिणाम "नाम-ओ-निशाँ"
नज़्म
हम से उस देस का तुम नाम ओ निशाँ पूछते हो
जिस की तारीख़ न जुग़राफ़िया अब याद आए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
मंज़िल का था ख़याल न नाम-ओ-निशाँ कहीं
कुछ ऐसी मुंतशिर सी हुई दोस्ती की बज़्म
जयकृष्ण चौधरी हबीब
नज़्म
जहाँ मिलता नहीं नाम-ओ-निशाँ तक सारबानों का
इसी वीराने में इक दिन मिरी 'रेहाना' रहती थी
अख़्तर शीरानी
नज़्म
जीना है तो जीने के अंदाज़ भी पैदा कर
काम आएँगे आबा के ये नाम-ओ-निशाँ कब तक
बशीरून्निसा बेगम बशीर
नज़्म
फ़ौलाद के पंजे से मुमकिन है रिहाई क्या
क्या नाम-ओ-निशाँ अपना ख़ुद तुझ को मिटाना है