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नज़्म
सरापा नाला-ए-बेदाद-ए-सोज़-ए-ज़िंदगी हो जा
सपंद-आसा गिरह में बाँध रक्खी है सदा तू ने
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
एक आग़ोश-ए-हसीं शौक़ की मेराज है क्या
क्या यही है असर-ए-नाला-ए-दिल-हा-ए-हज़ीं
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
मेरी फ़रियाद-ए-जिगर-दोज़ मिरा नाला-ए-ज़ार
शिद्दत-ए-कर्ब में डूबी हुई मेरी गुफ़्तार
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
सर-ए-दरिया परस्तिश हो रही है फिर गुनाहों की
करो यारो शुमार-ए-नाला-ए-शब-गीर बिस्मिल्लाह
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
ख़ूगर-ए-नाला-ए-लज़्ज़त-कश-ए-आवाज़ हूँ मैं
दाम-ए-तूफ़ान-ए-हवादिस में गिरफ़्तार हूँ मैं
शकील बदायूनी
नज़्म
दाग़ सीने के न दिखला नाला-ए-पुर-शोर कर
मुँह पे आँखों की जगह सरकार के होते हैं कान
शमीम फ़ारूक़ बांस पारी
नज़्म
ताइर-ए-ज़ेर-ए-दाम के नाले तो सन चुके हो तुम
ये भी सुनो कि नाला-ए-ताइर-ए-बाम और है