आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "पचीस"
नज़्म के संबंधित परिणाम "पचीस"
नज़्म
जो सिल पर सुर्ख़ मिर्चें पीस कर सालन पकाती थीं
सहर से शाम तक मसरूफ़ लेकिन मुस्कुराती थीं
असना बद्र
नज़्म
ज़द में कोई चीज़ आ जाए तो उस को पीस कर
इर्तिक़ा-ए-ज़िंदगी के राज़ बतलाती हुई
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
पचास को वो क्रॉस कर के कुछ और ख़ूँ-ख़्वार हो गई है
अगर उसे आंटी कहो तो निगाह में हस्पताल रखना
खालिद इरफ़ान
नज़्म
आदिल मंसूरी
नज़्म
पचास पैसे के अनार के लबों पे एक क़तरा नार रख दी
ख़ाक को ये गर्म बोसा कब नसीब था!
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
नज़्म
शाइ'री की उम्र थी गो बीस या पच्चीस साल
लेकिन अपने फ़न में वो बिल-क़स्द लाए बाल-पन