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नज़्म
पस्तियाँ कर लेंगी तय सारे मक़ामात-ए-फ़राज़
ख़ाक के ज़र्रे सुरय्या तक रसा हो जाएँगे
अहमक़ फफूँदवी
नज़्म
तेरे हुदूद में कहीं आईं नज़र न पस्तियाँ
लाएक़-ए-ए'तिना न हों ग़ैरों की चीरा-दस्तियाँ
अली मंज़ूर हैदराबादी
नज़्म
ये ज़मीं थीं ज़िल्लत-ए-आफ़ाक़ जिस की पस्तियाँ
रिफ़अ'तों में रू-कश-ए-हफ़्त-आसमाँ होने को है
फ़ज़लुर्रहमान
नज़्म
क़ुमरियाँ शाख़-ए-सनोबर से गुरेज़ाँ भी हुईं
पत्तियाँ फूल की झड़ झड़ के परेशाँ भी हुईं
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मसाफ़-ए-ज़िंदगी में सीरत-ए-फ़ौलाद पैदा कर
शबिस्तान-ए-मोहब्बत में हरीर ओ पर्नियाँ हो जा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
गर्द से पाक है हवा बर्ग-ए-नख़ील धुल गए
रेग-ए-नवाह-ए-काज़िमा नर्म है मिस्ल-ए-पर्नियाँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ये शाख़-सार के झूलों में पेंग पड़ते हुए
ये लाखों पत्तियों का नाचना ये रक़्स-ए-नबात