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नज़्म
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
ये हैं वो फ़रहाद जो शीरीं से अपनी दूर हैं
है ज़्याबतीस वो बढ़िया जिस से ये मजबूर हैं
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
क्या बधिया भैंसा बैल शुतुर क्या गौनें पल्ला सर-भारा
क्या गेहूँ चाँवल मोठ मटर क्या आग धुआँ और अँगारा
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
थकी थकी सी फ़ज़ा में वो ज़िंदगी का उतार
हुआ की बंसियाँ बंसवाड़ियों में बजती हुईं