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नज़्म
साकिनान-ए-अर्श-ए-आज़म की तमन्नाओं का ख़ूँ
इस की बर्बादी पे आज आमादा है वो कारसाज़
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
वो सब इक बर्फ़ानी भाप की चमकीली और चक्कर खाती गोलाई थे
सो मेरे ख़्वाबों की रातें जलती और दहकती रातें
जौन एलिया
नज़्म
मुंतशिर कर के फ़ज़ा में जा-ब-जा चिंगारियाँ
दामन-ए-मौज-ए-हवा में फूल बरसाती हुई
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
जिधर चलती है बर्बादी के सामाँ साथ चलते हैं
नहूसत हम-सफ़र होती है शैताँ साथ चलते हैं
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
अब नहीं तर्ज़-ए-तग़ाफ़ुल का मिरे इश्क़ को ग़म
शौक़ से मेरी तमन्नाओं की बर्बादी हो