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नज़्म
मुझे बारिश से कहने दो जवाँ जज़्बों में बहने दो
कि जब बारिश बरसती है हवाएँ सर्द चलती हैं
दुआ अली
नज़्म
अब शरारे सोज़-ए-ग़म के दिल में रहते ही नहीं
अश्क अब पिछले पहर आँखों से बहते ही नहीं
जोश मलीहाबादी
नज़्म
काले की आँखों में चीख़ रहा था एक सवाल
काले के ज़ख़्मों से बहने वाला ख़ून था लाल
इमरान शमशाद नरमी
नज़्म
धीमी धीमी बहने वाली एक नहर-ए-दिल-नशीं
आब-ए-जू छोटी सी इक नाज़ुक ख़िराम-ओ-नाज़नीं