aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "बहर-ए-ज़ुल्मात"
दश्त तो दश्त हैं दरिया भी न छोड़े हम नेबहर-ए-ज़ुल्मात में दौड़ा दिए घोड़े हम ने
ज़मीं की बंजर उदास सी सल्तनत को छू करउस एक बे-अंत सुर्ख़ नुक़्ते के बहर-ए-ज़ुल्मात में गिरे हैं
दफ़अतन सैल-ए-ज़ुल्मात को चीरताजल उठा दूर बस्ती का पहला दिया
शहर-ए-ज़ुल्मात के सना-ख़्वानोशहर-ए-ज़ुल्मात को सबात नहीं
बार-ए-ज़ुल्मात से सीने की फ़ज़ा है बोझलन कोई साज़-ए-तमन्ना न कोई सोज़-ए-अमल
ख़्वाहिश-ए-चश्मा-ए-ज़ुल्मात अभी बाक़ी हैपए नैसाँ हो जो बरसात अभी बाक़ी है
कौन जाने कि अभी रात है कितनी बाक़ीउम्र-ए-हंगामा-ए-ज़ुल्मात है कितनी बाक़ी
हर्फ़-ए-ज़ुल्मात में महसूर हुएमुंतज़िर हूँ
दश्त-ए-ज़ुल्मात मेंजल्वा-ए-तूर है
ऐसी अँधेरी रात मेंइस मरकज़-ए-ज़ुल्मात में
फ़िशार-ए-ज़ुल्मात से निकालोइन्हें हक़ीक़त की रौशनी दो
ग़व्वास-ए-फ़िक्र के लिए ग़ालिब की शायरीइक बहर-ए-बे-कनार-ए-फ़ुनून-ओ-उलूम है
और बच्चों के बिलकने की तरह क़ुलक़ुल-ए-मयबहर-ए-ना-सूदगी मचले तो मनाए न मने
हो चुका पायाब जब बहर-ए-सर-ओ-बर्ग-ए-शबाबअब समुंदर की जवानी बाढ़ पर आई तो क्या
दश्त-ए-ज़ुल्मात में डायनासोर चिंघाड़तेगुल मचाते रहे रात भर
बहर-ए-बे-कराँ हो यापुर-ख़तर समुंदर हो
दश्त-ए-ज़ुल्मात में भटकने देमेरी राहों को कहकशाँ न बना
जो रवाँ-दवाँ है बहर-ए-बे-कराँ की खोज में
बहर-ए-बे-पायाँ है इश्क़मौज भी साहिल भी इश्क़
खेती में शे'र की नहीं मुमकिन है हल चलेबहर-ए-रजज़ में या'नी कि बहर-ए-रमल चले
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