आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "बिखर"
नज़्म के संबंधित परिणाम "बिखर"
नज़्म
अमजद इस्लाम अमजद
नज़्म
दिल के बुझते हुए अँगारे को दहकाते हुए
ज़ुल्फ़-दर-ज़ुल्फ़ बिखर जाएगा फिर रात का रंग
अली सरदार जाफ़री
नज़्म
धूप में साया भी होता है गुरेज़ाँ जिस दम
तेरी ज़ुल्फ़ें मिरे शानों पे बिखर जाती हैं
हिमायत अली शाएर
नज़्म
आ कि लफ़्ज़ों की सूरत फ़ज़ाओं में मिल कर बिखर जाएँ हम
इक नया लफ़्ज़ तख़्लीक़ कर जाएँ हम