aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "बे-पनाह"
बे-पनाह आजिज़ हैं
और डूब गईबे-पनाह गहराइयों में
ग़ुबार-ए-बे-पनाह कोआहों की घटाओं को
बे-वजह सताती हैबे-पनाह जगाती है
तुम अपने बाज़ुओं कीगिरफ़्त-ए-बे-पनाह को ज़रा कम करो
बे-पनाह हसीं लड़काजिस ने रूह के बदले
बे-पनाह सैल के मानिंद रवाँजैसे जिन्नात बयाबानों में
तुम्हारा कहना हैतुम मुझे बे-पनाह शिद्दत से चाहते हो
फिर गिरानी का आएगा तूफ़ानमुफ़्लिसी बे-पनाह भी होगी
बे-पनाह हँसती थीवो अजीब लड़की थी वो अजीब लड़की थी
मार जब बे-पनाह पड़ती हैतब कोई हम-नवा नहीं होता
सच कहो क्या हाफ़िज़े में है वो ज़ुल्म-ए-बे-पनाहआज तक रंगून में इक क़ब्र है जिस की गवाह
मगर नदामत के तल्ख़ से ज़ाइक़े से पहले गुनाह की बे-पनाह लज़्ज़त
ख़ुद-शनासी की बे-पनाह दौलतख़ुद को पा लेने की ये ख़्वाहिश
रखता है निशात-ओ-ग़म पे क़ाबूसंगीत का बे-पनाह जादू
किसी की सोई हुई याद को जगाती थीवो बे-पनाह घटा वो भरी भरी बरसात
बे-पनाह शाख़-दर-शाख़ ताबिंदगीताज़गी के तमव्वुज से सँवला के
नजात दिलवा सकेंगे मशरिक़ कोग़ैर के बे-पनाह बिफरे हुए सितम से
है जुरअत बे-पनाह महदूदफ़ितरत के दस्त-ए-पुर-हुनर में
वो एक शय बे-पनाह सी हैवो तंग-ओ-तारीक सी गुफाएँ
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