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नज़्म
है अहल-ए-दिल के लिए अब ये नज़्म-ए-बस्त-ओ-कुशाद
कि संग-ओ-ख़िश्त मुक़य्यद हैं और सग आज़ाद
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
ख़याल-ए-नज़्म-ए-मय-कदा नहीं है फ़िक्र-ए-जाम है
मिला वो इख़्तियार जिस पे बेबसी है ख़ंदा-ज़न
मोहसिन भोपाली
नज़्म
कमाल-ए-नज़्म-ए-हस्ती की अभी थी इब्तिदा गोया
हुवैदा थी नगीने की तमन्ना चश्म-ए-ख़ातम से
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
अभी हर दुश्मन-ए-नज़्म-ए-कुहन के गीत गाना है
अभी हर लश्कर-ए-ज़ुल्मत-शिकन के गीत गाना है
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
बिर्ज लाल रअना
नज़्म
बदल जाए अभी 'इन'आम' नज़्म-ए-शोरिश-ए-बातिल
ज़रा हम इत्तिबा'-ए-मशरब-ए-रूहानियाँ कर लें
इनाम थानवी
नज़्म
उम्मतें और भी हैं उन में गुनहगार भी हैं
इज्ज़ वाले भी हैं मस्त-ए-मय-ए-पिंदार भी हैं
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
वक़्त-ए-सहर, ख़ामोश धुँदलका नाच रहा है सेहन-ए-जहाँ में
ताबिंदा, पुर-नूर सितारे, जगमग जगमग करते करते
रिफ़अत सरोश
नज़्म
आ, बाग़ियों का ज़मज़मा-ए-आतिशीं भी सुन
ओ मस्त-ए-साज़-ओ-बरबत-ओ-नग़्मा इधर भी आ