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नज़्म
नन्हे ने ये मौक़ा ताड़ा झट बावर्ची-ख़ाने पहुँचा
दूध पे आई थी जो मिलाई चुपके से उस को खाने पहुँचा
मीराजी
नज़्म
हबीब जालिब
नज़्म
नादान हैं वो जो छेड़ते हैं इस आलम में नादानों को
उस शख़्स से एक जवाब मिला सब अपनों को बेगानों को
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
हत्ता कि अपने ज़ोहद-ओ-रियाज़त के ज़ोर से
ख़ालिक़ से जा मिला है सो है वो भी आदमी
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
ये तुम ने ठीक कहा है तुम्हें मिला न करूँ
मगर मुझे ये बता दो कि क्यूँ उदास हो तुम
साहिर लुधियानवी
नज़्म
अयाँ हैं दुश्मनों के ख़ंजरों पर ख़ून के धब्बे
उन्हें तू रंग-ए-आरिज़ से मिला लेती तो अच्छा था
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
वो बादल सर पे छाए हैं कि सर से हट नहीं सकते
मिला है दर्द वो दिल को कि दिल से जा नहीं सकता
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
बहुत दिनों में रास्ता हरीम-ए-नाज़ का मिला
मगर हरीम-ए-नाज़ तक पहुँच गए तो क्या मिला
आमिर उस्मानी
नज़्म
मैं ने चाँद और सितारों की तमन्ना की थी
मुझ को रातों की सियाही के सिवा कुछ न मिला
साहिर लुधियानवी
नज़्म
आ ग़ैरियत के पर्दे इक बार फिर उठा दें
बिछड़ों को फिर मिला दें नक़्श-ए-दुई मिटा दें