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नज़्म
ये कस दयार-ए-अदम में मुक़ीम हैं हम तुम
जहाँ पे मुज़्दा-ए-दीदार-ए-हुस्न-ए-यार तो क्या
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
सर-ब-सर इक मुज़्दा-ए-तसकीन-ए-मरदान-ए-ज़ईफ़
क़ुव्वत-ए-बाज़ू-ए-यारान-ए-जवाँ पैदा हुआ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
मुज़्दा-ए-अम्न-ओ-अमाँ सुल्ह का पैग़ाम है क्या
जंग-ए-आज़ादी-ए-इंसाँ का सर-अंजाम है क्या
फ़ज़लुर्रहमान
नज़्म
सरापा नाला-ए-बेदाद-ए-सोज़-ए-ज़िंदगी हो जा
सपंद-आसा गिरह में बाँध रक्खी है सदा तू ने
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
रूह-ए-मुश्त-ए-ख़ाक में ज़हमत-कश-ए-बेदाद है
कूचा गर्द-ए-नय हुआ जिस दम नफ़स फ़रियाद है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मर्हबा ऐ नौ-गिरफ़्तारान-ए-बेदाद-ए-फ़रंग
जिन की ज़ंजीरें ख़रोश-अफ़ज़ा-ए-ज़िंदाँ हो गईं