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नज़्म
ख़ुदा वाले तअ'ज्जुब है कि मासूम-ओ-मुक़द्दस हैं
अज़ाब-ए-नौ-ब-नौ से है मुरस्सा आइना-ख़ाना
बेबाक भोजपुरी
नज़्म
जिस पे नाज़ाँ अपने दिल में रावन-ए-बे-पीर था
थे तिलाई बुर्ज जिस के और मुरस्सा बाम-ओ-दर
मुंशी नौबत राय नज़र लखनवी
नज़्म
कमीं-गाहों की पेशानी कनखियों से मुरस्सा है
तहफ़्फ़ुज़ की कड़ी आँखों की कुछ तासीर बाक़ी है
राम प्रकाश राही
नज़्म
जी में आता है ये मुर्दा चाँद तारे नोच लूँ
इस किनारे नोच लूँ और उस किनारे नोच लूँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
उरूक़-मुर्दा-ए-मशरिक़ में ख़ून-ए-ज़िंदगी दौड़ा
समझ सकते नहीं इस राज़ को सीना ओ फ़ाराबी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मैं न ज़िंदा हूँ कि मरने का सहारा ढूँडूँ
और न मुर्दा हूँ कि जीने के ग़मों से छूटूँ