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नज़्म
आँखों से ख़ून टपकता है सीने पर ख़ंजर चलता है
मन-मोहन जल्द ख़बर लेना दीनों की जान बचाने को
आफ़ताब रईस पानीपती
नज़्म
उन से बच कर चलना बाबा ये क़ातिल ज़हरीले हैं
सूरत के मोहन हैं भीतर से सब नीले पीले हैं
अनवर साबरी
नज़्म
ये अक़ीदा हिंदुओं का है निहायत ही क़दीम
जब कभी मज़हब की हालत होती है ज़ार-ओ-सक़ीम
जगत मोहन लाल रवाँ
नज़्म
सहरा में जिस के मोहन ने बाँसुरी बजाई
मुर्दा दिलों में उल्फ़त की आग सी लगाई