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नज़्म
उड़ गया दुनिया से तू मानिंद-ए-ख़ाक-ए-रह-गुज़र
ता-ख़िलाफ़त की बिना दुनिया में हो फिर उस्तुवार
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
यूँ कहने को राहें मुल्क-ए-वफ़ा की उजाल गया
इक धुँद मिली जिस राह में पैक-ए-ख़याल गया
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
हसीन काफ़ूरी उँगलियों में सफ़ेद सिगरेट लिए
वो लड़की खड़ी खड़ी अपने शन्गरफ़ी नर्म होंटों से यूँ लगाती