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नज़्म
ज़ालिम को जो न रोके वो शामिल है ज़ुल्म में
क़ातिल को जो न टोके वो क़ातिल के साथ है
साहिर लुधियानवी
नज़्म
फुर्तियाँ चूहों की हैं बिल्ली की तर्रारी के साथ
आप रोकें ख़्वाह कितनी ही सितमगारी के साथ
जोश मलीहाबादी
नज़्म
अन-गिनत साँस रोके हुए चुप खड़े हैं
जहाँ अब्र-आलूद शाम उड़ते लम्हों को रोके अबद बन गई है
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
अली अकबर नातिक़
नज़्म
मगर कुछ कर नहीं पाता कि राहत रोके रखती है
कोई अफ़्साना पढ़ना हो किसी की शाइ'री पे बात करनी हो
अबु बक्र अब्बाद
नज़्म
बाहें फैलाए हुए रास्ता रोके है खड़ा
कौन होता है हरीफ़-ए-मय-ए-मर्द अफ़गन-ए-इश्क़