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नज़्म
रहज़न-ए-हुस्न को इस इश्क़ की मंज़िल से ग़रज़
ख़ूगर-ए-ख़ल्वत-ए-रंगीन को महफ़िल से ग़रज़
नियाज़ गुलबर्गवी
नज़्म
ख़ल्वत-ए-ग़म के दरीचों पे ये दस्तक कैसी
ऐ मिरी फ़ख़्र-ए-वफ़ा रश्क-ए-चमन जान-ए-हया
इम्तियाज़ अहमद क़मर
नज़्म
हुरमतुल इकराम
नज़्म
आह उस ख़्वाब-ए-शबाना का है मुझ को इंतिज़ार
उस सुरूर-ए-आशिक़ाना का है मुझ को इंतिज़ार
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
मिरे जज़्बात की देवी मिरे अशआर की मलका
वो मलका जो ब-रंग-ए-अज़्मत-ए-शाहाना रहती थी