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नज़्म
शहज़ाद अंजुम बुरहानी
नज़्म
मोहब्बत उन की ला-सानी सदाक़त मेरी ला-फ़ानी
हक़ीक़त ही हक़ीक़त है न वो बातिल न मैं बातिल
अली मंज़ूर हैदराबादी
नज़्म
सब अफ़्साने झूटे हैं, सब ख़्वाब बिखरने वाले हैं
इस ला-फ़ानी झूट के पीछे सच है अगर तो इतना है