aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "शमशान"
ता-अबद शहर-ए-सितम जिस से तबह हो जाएँइतना तारीक कि शमशान की शब हो जैसे
शमशान है जलते जिस्मों काउस सम्त फ़ज़ा पर साया है
कुटिया जैसे इक शमशानगाँधी जी की लाश पड़ी है
और घर से शमशान तक की आख़िरी दुनिया-दारीकभी कभी मौत की निशानी होतीं है
अभी खेत और फ़स्ल और कच्चे पक्के घर और दीवारों और जीवन मरनऔर शमशान भूम और क़ब्रों से पहचाने तो जाते थे
अब खोटे सिक्के जेब में रखने का मन नहीं होताजब भी किसी शमशान के पास से गुज़रता हूँ
इक क़ब्रिस्ताँ की पुर-हौल उदासी से उकताए हुएएक नए शमशान का रस्ता ढूँड रहे हैं
हर एक गोशा है शमशान क़ब्र है बिस्तरअकेला फिरता है सुनसान शहर में कर्फ़्यू
राख के जलते हुए ढेर में क्या पाओगेशहर से दूर है शमशान कहाँ जाओगे
लाजपत-राय की शमशान से आती है सदामुल्क की राह में मिटने का ख़याल अच्छा है
जिस का ज़ाइक़ा चखना तुम पर लाज़िम होमेरी मोहब्बत तो आशिक़ों के शमशान घाट पर
आँगन आँगन आग तो घर घर में शमशानअपनी धरती माँ का भूल गए एहसान
वो जिस से तुम्हारे इज्ज़ पे भीशमशाद-क़दों ने रश्क किया
हज़रत ने मिरे एक शनासा से ये पूछा'इक़बाल' कि है क़ुमरी-ए-शमशाद-ए-मआनी
वो शमशाद बिल्डिंग पे इक शोर-ए-महशरवो मुबहम सी बातें वो पोशीदा नश्तर
सेहन-ए-गुलशन में कभी ऐ शह-ए-शमशाद-क़दाँफिर नज़र आए सलीक़ा तिरी रानाई का
पैवंद-ए-रह-ए-कूचा-ए-ज़र चश्म-ए-ग़ज़ालाँपाबोस-ए-हवस अफ़सर-ए-शमशाद-क़दाँ है
अकेले जियो एक शमशाद-तन की तरहऔर मिल कर जियो
सर्व-ओ-शमशाद को गले से लगाहर चमन-ज़ाद को गले से लगा
सड़क मसाफ़त की उजलतों मेंघिरे हुए सब मुसाफ़िरों को
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