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नज़्म
तुख़्म जिस का तू हमारी किश्त-ए-जाँ में बो गई
शिरकत-ए-ग़म से वो उल्फ़त और मोहकम हो गई
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
भाई भाई की मोहब्बत में निराले से शुकूक
निगह-ए-ग़ैर में जिस तरह अनोखे से सवाल
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
ये डाइन है भरी गोदों से बच्चे छीन लेती है
ये ग़ैरत छीन लेती है हमिय्यत छीन लेती है