aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "संग-ए-मोहतरम"
ये तक़ाज़ा था जाने वालों काबिछड़ी नस्लों से राब्ते में रहूँ
ऐ दोस्तो मिलें तो बस इक पयाम कहनाउस्ताद-ए-मोहतरम को मेरा सलाम कहना
जाँ की वाबस्तगी की बशारतवही लम्हा-ए-मोहतरम
उस्ताद-ए-मोहतरम से हासिल की रहनुमाईअपने इमाम साहब का दर भी खटखटाया
वज़ीर-ए-मोहतरम का ख़ाना ख़ाली हैबिसात-ए-ख़ूँ-चकाँ पर
हैं वो भी ख़ुलूस-ओ-मोहब्बत के पैकरमगर जनाब-ए-मोहतरम ये हक़ीक़त है सुन लें
ये मोहतरम भेड़ियेहम उन की ख़बासतों का गवाह लाएँ
संग-ए-बुनियाद-ए-ज़ीस्त कहलाई
कई संग-ए-अज़ियत-ए-यास-ओ-मर्गसे बच गए
सग-ए-हम-सफ़र और मैं
मैं सग-ए-दर हूँ मिरी तुझ से सगाई है!
रेत से आईना ढाला जा रहा हैसंग-ए-ज़ौक़-ए-दीद से
जिन की तलवारों ने रक्खा था यहाँसंग-ए-बुनियाद-ए-फ़रंग!
धुएँ और कोहरे की परछाइयों से परेआतिश-ए-संग-ए-बे-ताब
दिलों के अंदर छुपे बुतों को मिटा रहे होदिलों के अंदर छुपे दरिंदों को संग-ए-सब्र-ओ-ग़िना से
हाकिम-ए-शहर भी मजमा-ए-आम भीतीर-ए-इल्ज़ाम भी संग-ए-दुश्नाम भी
मोतियों की कान हैया रग-ए-संग-ए-गिराँ-माया की इक पहचान है
सग-ए-ख़ूँ-ख़ार को इंसान नहीं कहते हैंदुश्मन-ए-जाँ को निगहबान नहीं कहते हैं
देखता है क्यूँ अबस सय्याद सू-ए-आसमाँयास की नज़रों से तेरी शौकत-ए-पर्वाज़ को
अपने बस का नहीं बार-ए-संग-ए-सितमबार-ए-संग-ए-सितम, बार-ए-कोहसार-ए-ग़म
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