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आज बाज़ार में पा-ब-जौलाँ चलो

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

आज बाज़ार में पा-ब-जौलाँ चलो

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

MORE BYफ़ैज़ अहमद फ़ैज़

    रोचक तथ्य

    जब फ़ैज़ को लाहौर जेल से एक डेंटिस्ट के पास ज़ंजीरों में बाँध कर ले जा रहे थे, रास्ते में लोग उन्हें पहचान गए और उन के ताँगे के पीछे हो लिए, उसी मंज़र को बयान करते हुए फ़ैज़ ने ये नज़्म कही।

    चश्म-ए-नम जान-ए-शोरीदा काफ़ी नहीं

    तोहमत-ए-इश्क़-ए-पोशीदा काफ़ी नहीं

    आज बाज़ार में पा-ब-जौलाँ चलो

    दस्त-अफ़्शाँ चलो मस्त रक़्साँ चलो

    ख़ाक-बर-सर चलो ख़ूँ-ब-दामाँ चलो

    राह तकता है सब शहर-ए-जानाँ चलो

    हाकिम-ए-शहर भी मजमा-ए-आम भी

    तीर-ए-इल्ज़ाम भी संग-ए-दुश्नाम भी

    सुब्ह-ए-नाशाद भी रोज़-ए-नाकाम भी

    उन का दम-साज़ अपने सिवा कौन है

    शहर-ए-जानाँ में अब बा-सफ़ा कौन है

    दस्त-ए-क़ातिल के शायाँ रहा कौन है

    रख़्त-ए-दिल बाँध लो दिल-फ़िगारो चलो

    फिर हमीं क़त्ल हो आएँ यारो चलो

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    नय्यरा नूर

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    आज बाज़ार में पा-ब-जौलाँ चलो नय्यरा नूर

    स्रोत :
    • पुस्तक : नुस्ख़-हाए-वफ़ा (पृष्ठ 338)

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