हमेशा देर कर देता हूँ
हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में
मुनीर नियाज़ी
शिकवा
क्यूँ ज़याँ-कार बनूँ सूद-फ़रामोश रहूँ
अल्लामा इक़बाल
रक़ीब से!
आ कि वाबस्ता हैं उस हुस्न की यादें तुझ से
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
आवारा
शहर की रात और मैं नाशाद ओ नाकारा फिरूँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
ताज-महल
ताज तेरे लिए इक मज़हर-ए-उल्फ़त ही सही
साहिर लुधियानवी
फ़र्ज़ करो
फ़र्ज़ करो हम अहल-ए-वफ़ा हों, फ़र्ज़ करो दीवाने हों
इब्न-ए-इंशा
निसार मैं तेरी गलियों के
निसार मैं तिरी गलियों के ऐ वतन कि जहाँ
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
आज बाज़ार में पा-ब-जौलाँ चलो
चश्म-ए-नम जान-ए-शोरीदा काफ़ी नहीं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
औरत
उठ मिरी जान मिरे साथ ही चलना है तुझे
कैफ़ी आज़मी
याद
दश्त-ए-तन्हाई में ऐ जान-ए-जहाँ लर्ज़ां हैं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ज़िंदगी से डरते हो
ज़िंदगी से डरते हो!
नून मीम राशिद
शायद
मैं शायद तुम को यकसर भूलने वाला हूँ
जौन एलिया
तन्हाई
फिर कोई आया दिल-ए-ज़ार नहीं कोई नहीं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
जावेद के नाम
दयार-ए-इश्क़ में अपना मक़ाम पैदा कर
अल्लामा इक़बाल
हम जो तारीक राहों में मारे गए
तेरे होंटों के फूलों की चाहत में हम
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
विसाल की ख़्वाहिश
कह भी दे अब वो सब बातें
मुनीर नियाज़ी
ए'तिराफ़
अब मिरे पास तुम आई हो तो क्या आई हो
असरार-उल-हक़ मजाज़
मता-ए-ग़ैर
मेरे ख़्वाबों के झरोकों को सजाने वाली
साहिर लुधियानवी
फ़रमान-ए-ख़ुदा
उठ्ठो मिरी दुनिया के ग़रीबों को जगा दो
अल्लामा इक़बाल
अब सो जाओ
अब सो जाओ
फ़हमीदा रियाज़
दाएरा
रोज़ बढ़ता हूँ जहाँ से आगे
कैफ़ी आज़मी
चकले
ये कूचे ये नीलाम घर दिलकशी के
साहिर लुधियानवी
नौ-जवान ख़ातून से
हिजाब-ए-फ़ित्ना-परवर अब उठा लेती तो अच्छा था
असरार-उल-हक़ मजाज़
हिरास
तेरे होंटों पे तबस्सुम की वो हल्की सी लकीर
साहिर लुधियानवी
साक़ी-नामा
हुआ ख़ेमा-ज़न कारवान-ए-बहार
अल्लामा इक़बाल
आख़िरी दिन की तलाश
ख़ुदा ने क़ुरआन में कहा है
मोहम्मद अल्वी
जिब्रईल ओ इबलीस
जिब्रईल
अल्लामा इक़बाल
जश्न-ए-ग़ालिब
इक्कीस बरस गुज़रे आज़ादी-ए-कामिल को
साहिर लुधियानवी
मस्जिद-ए-क़ुर्तुबा
सिलसिला-ए-रोज़-ओ-शब नक़्श-गर-ए-हादसात
अल्लामा इक़बाल
हसन कूज़ा-गर (1)
जहाँ-ज़ाद नीचे गली में तिरे दर के आगे
नून मीम राशिद
इल्तिजा-ए-मुसाफ़िर
फ़रिश्ते पढ़ते हैं जिस को वो नाम है तेरा
अल्लामा इक़बाल
मुलाक़ात
ये रात उस दर्द का शजर है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
किस से मोहब्बत है
बताऊँ क्या तुझे ऐ हम-नशीं किस से मोहब्बत है
असरार-उल-हक़ मजाज़
आख़िरी उम्र की बातें
वो मेरी आँखों पर झुक कर कहती है ''मैं हूँ''
मुनीर नियाज़ी
तस्वीर-ए-दर्द
नहीं मिन्नत-कश-ए-ताब-ए-शुनीदन दास्ताँ मेरी
अल्लामा इक़बाल
फ़न पारा
ये किताबों की सफ़-ब-सफ़ जिल्दें
जौन एलिया
नानक
क़ौम ने पैग़ाम-ए-गौतम की ज़रा परवा न की
अल्लामा इक़बाल
आदमी की तलाश
अभी मरा नहीं ज़िंदा है आदमी शायद
निदा फ़ाज़ली
ज़िंदाँ की एक शाम
शाम के पेच-ओ-ख़म सितारों से
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
वालिदा मरहूमा की याद में
ज़र्रा ज़र्रा दहर का ज़िंदानी-ए-तक़दीर है
अल्लामा इक़बाल
फ़नकार
मैं ने जो गीत तिरे प्यार की ख़ातिर लिक्खे
साहिर लुधियानवी
मिर्ज़ा 'ग़ालिब'
फ़िक्र-ए-इंसाँ पर तिरी हस्ती से ये रौशन हुआ
अल्लामा इक़बाल
तुम नहीं आए थे जब
तुम नहीं आए थे जब तब भी तो मौजूद थे तुम
अली सरदार जाफ़री
बैठा है मेरे सामने वो
बैठा है मेरे सामने वो
फ़हमीदा रियाज़
एक दरख़्वास्त
ज़िंदगी के जितने दरवाज़े हैं मुझ पे बंद हैं
अहमद नदीम क़ासमी
मैं और मेरा ख़ुदा
लाखों शक्लों के मेले में तन्हा रहना मेरा काम
मुनीर नियाज़ी
आधा कमरा
उस ने इतनी किताबें चाट डालीं
सारा शगुफ़्ता
अभी कुछ दिन लगेंगे
अभी कुछ दिन लगेंगे
इफ़्तिख़ार आरिफ़
शिकस्त
अपने सीने से लगाए हुए उम्मीद की लाश
साहिर लुधियानवी