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नज़्म
तेरा ग़म है तो ग़म-ए-दहर का झगड़ा क्या है
तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
जिस के शोले में नहीं सुब्ह-ए-दरख़्शाँ का पयाम
मेरे फूलों में सबाओं न बहारों का गुज़र
मुईन अहसन जज़्बी
नज़्म
रबूद आँ तुर्क शीराज़ी दिल-ए-तबरेज़-ओ-काबुल रा
सबा करती है बू-ए-गुल से अपना हम-सफ़र पैदा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
हबीब जालिब
नज़्म
क्या क्या न दिल-ए-ज़ार ने ढूँडी हैं पनाहें
आँखों से लगाया है कभी दस्त-ए-सबा को
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
साहिर लुधियानवी
नज़्म
गुलशन-ए-याद में गर आज दम-ए-बाद-ए-सबा
फिर से चाहे कि गुल-अफ़शाँ हो तो हो जाने दो
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
बाद-ए-सबा की मौज से नश-नुमा-ए-ख़ार-अो-ख़स!
मेरे नफ़स की मौज से नश-ओ-नुमा-ए-आरज़ू!