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नज़्म
बच्चों की बात छोड़िए बेगम का है ये हाल
ग़ुस्से में यूँ समझिए कि हर शय पे है ज़वाल
नश्तर अमरोहवी
नज़्म
ये हमारी ज़िंदगी है हम हैं इस के पासबाँ
मुख़्तसर इतना समझिए मुल्क की इज़्ज़त है ये
जमील अहमद जायसी
नज़्म
वनडे क्रिकेट तो शौक़ से देखते हैं आप भी
यूँ समझिए कि मश्क़ था गुज़िश्ता कल का मैच आज के मैच की
मोहम्मद हनीफ़ रामे
नज़्म
तज़्किरा वासिफ़ ने लिक्खा है किसी नासूर का
इस को मत क़िस्सा समझिए शा'इर-ए-मशहूर का
जब्बार वासिफ़
नज़्म
किस को समझाएँ उसे खोदें तो फिर पाएँगे क्या
हम अगर रिश्वत नहीं लेंगे तो फिर खाएँगे क्या
जोश मलीहाबादी
नज़्म
समझते हैं कहीं दीवानगान-ए-इश्क़ समझाए
तिरे होंटों पे मेरा नाम आ जाए तो आ जाना
राजेन्द्र नाथ रहबर
नज़्म
हम कहाँ जाएँ कहें किस से कि नादार हैं हम
किस को समझाएँ ग़ुलामी के गुनहगार हैं हम